लेखनी प्रतियोगिता -11-Jul-2022 जनसंख्या पर करो रोकथाम
आज जनसंख्या दिवस है उसी संबंध में मैंने मेरी कविता लिखी है।
रचयिता- प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-जनसंख्या पर करो रोकथाम
जनसंख्या ऐसे बढ़ती जाए
जैसे राशन का मोल भाव बढ़ता जाए
जैसे पेट्रोल, डीजल के भाव बढ़ते जाएं
नहीं है कदम किसी के भी नीचे
आसमान में उड़ते जाएं ऊंचे
कुछ भी ना रहा सस्ता
सब हो गया महंगा
जनसंख्या बनी इनकी गहना
जनसंख्या बनती जा रही है महामारी
जिससे बढ़ रही है भ्रष्टाचारी
तेजी से बढ़ती जा रही है जनसंख्या
हो रही है भारत में अनेक समस्या
दिन पर दिन बढ़ती जा रही महंगाई
आर्थिक संकट की चिंता भी खाई
खाद्यान्न संकट की बढ़ता जाए
हो रही है बेरोजगारी की मारी मारी
कर रही है जनता त्राहि-त्राहि
जनसंख्या से हो रही बहुत समस्याएं
चारों तरफ प्रदूषण बढ़ता जाए
अनियंत्रण पर्यावरण से बीमारी बढ़ती जाए
वन्य जीवों का जीवन हो गया है दुर्लभ
जनसंख्या वृद्धि का ग्राफ हुआ उच्च
हर रोज पेड़ की मात्रा हो रही निम्न
ऑक्सीजन की मात्रा में पड़ गया है फर्क
मनुष्य की आयु हो गई है कम
बढ़ती आबादी पर रोक लगाओ
बाद में बहुत पछताओगे
हम दो हमारे दो का करो तुम पालन
जिससे हो जनसंख्या रोकथाम।
Swati chourasia
12-Jul-2022 05:48 AM
Very nice 👌
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Gunjan Kamal
12-Jul-2022 12:08 AM
शानदार
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Shnaya
11-Jul-2022 11:13 PM
बहुत ही सुन्दर
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